IVF क्या होता है IVF से बच्चे कैसे पैदा होते हैं
IVF procedure step by step hindi IVF के फायदे और नुकसान
आई वी एफ उन विवाहित जोड़ो के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जिनके घर में विवाह के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी किलकारी नहीं गूंजी माँ बनना हर विवाहित स्त्री का सपना होता है मातृत्व का सुख हर विवाहित महिला चाहती है मगर कई बार सब कुछ सही होते हुए भी गभर्धारण करना मुश्किल हो जाता है एक सर्वे के अनुसार लगभग 6.7 प्रतिशत विवाहित महिलाएं इनफर्टिलिटी यानी प्रजनन से जुडी समस्या की शिकार होती हैं अब यह समस्या शरीर में किसी कमजोरी के कारण विवाहित जोड़े में से किसी एक में किसी तरह की चिकित्सीय कमी के कारण हो सकती है एक समय था जब इसका कोई इलाज नहीं था मगर वर्तमान में आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिससे हर वो विवाहित महिला जिसने माँ बनने का सपना देखा है अपना सपना पूरा कर सकती है
आईवीएफ को लेकर आपके मन मैं कई सवाल भी होंगे की इस तकनीक से कैसे
बच्चे को जन्म दिया जाता है क्या होता होगा कैसे होता होगा क्या आईवीएफ के लाभ है
क्या आईवीएफ के कुछ नुकसान भी आज इस लेख में आपके सारे सवालों के जवाब आपको मिल
जायेंगे तो इस लेख को अंत तक पढियेगा कही ना कही यह पोस्ट आपके लिए काफी उपयोगी
साबित होगा
तो आईये शुरू करते है
तो सबसे पहले जाने है की आखिर यह आईवीएफ है किस
बाला का नाम यानी की आईवीएफ होता क्या है आईवीएफ का पूरा नाम इन विट्रो
फर्टिलाइजेशन है जिसे शोर्ट में IVF कहा जाता है
तो यह तो समझ में आ गया की अंडे और शुक्राणु को
कृत्रिम तरीके से मिला दिया जाता है और भूर्ण का निर्माण कर दिया जाता है मगर कैसे
और फिर आगे के
अब आईवीएफ के क्या लाभ और नुकसान है इसे भी जान
लेते है
आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स और जोखिम
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी की आईवीएफ किसी महिला को कृत्रिम रूप
से गर्भधारण करवाने की एक सुरक्षित चिकित्सकीय पद्दति या प्रक्रिया है आपने टेस्ट
ट्यूब बेबी सुना होगा जी हां परखनली शिशु बस इसे ही आईवीएफ कहा जाता है ऐसी महिला जो किसी कारणवश गर्भधारण नहीं कर
पा रही हैं और माँ बनाना चाहती है अपनी कोख से बच्चा जन्म देना चाहती है वो आईवीएफ
की मदद से आसानी से माँ बन पाती है और इसी कारण से देश में आईवीएफ केंद्र तेजी से खुल
रहे हैं ।
अब आईवीएफ में करते क्या है कैसे किसी महिला को गर्भ धारण कराया
जाता है
तो देखिये
आईवीएफ की प्रक्रिया के दौरान उस महिला के अंडाशय से अंडे निकाले
जाते हैं और उसके पति के शुक्राणुओं के साथ अंडे को प्रयोगशाला में निषेचित किया
जाता है यानी की मिलन कराया जाता है इसके बाद परखनली में ही भ्रूण का निर्माण होता
है और फिर एक स्वस्थ भूर्ण प्राप्त हो जाने पर इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में
डाल दिया जाता है । लेकिन यदि महिला के अंडे सही नहीं है या पुरुष के शुक्राणु सही
नहीं है तो कपल की पूर्व सहमति लेकर किसी अन्य
डोनर के शुक्राणु या फिर अंडे का इस्तेमाल किया जा सकता है ।
तो चलिए पूरी प्रक्रिया को समझते है
आईवीएफ के पहले चरण में महिला का मासिक धर्म रोका जाता है आईवीएफ
के लिए आपका डॉक्टर सबसे पहले महिला को एक दवाई देता है जिससे मासिक धर्म रुक जाता
है अब यह दवा इंजेक्शन के रूप में दी जा सकती है या फिर नाक के स्प्रे के रूप में भी
दी जा सकती है। इस दवा को लगभग 15 दिनों तक लेना पड़ सकता है जब पीरियड्स रुक जाते है तब फॉलिकल
स्टिम्यु लेटिंग हार्मोन दिए जाते है इसे भी इंजेक्शन की मदद से दिया जाता है जो 10 से 12 दिन तक लगातार लेना पड़ सकता है
अब यह हार्मोन ज्यादा संख्या में अंडे निषेचित करने में मदद करता है इस पूरी प्रक्रिया में आईवीएफ करने
वाला डॉक्टर लगातार प्रगति नजर रखता है जरूरत होने पर डॉक्टर महिला की योनि का
अल्ट्रासाउंड भी करता है समय समय पर खून जांच भी की जाती है जब महिला के अंडे लेने
का समय आता है तब हार्मोन का आखिरी इंजेक्शन दिया जाता है जिसके 34 से 38 घंटे बाद अंडे निषेचन के लिए
तैयार हो जाते है
जब अंडे पूरी तरह
से निषेचन के लिए तैयार हो जाते है तब महिला के गर्भाशय
से अंडे बाहर निकाले जाते है इसके लिए महिला को थोड़ी देर के लिए बेहोश कर दिया
जाता है और एक सूई की मदद से अंडे बाहर निकाले लिए जाते हैं इस प्रोसेस में 15
से 20 मिनट का समय लगता है।
सफलता पूर्वक स्वस्थ अंडे निकलने के बाद प्रयोगशाला में निषेचन की
प्रक्रिया करायी जाती है अंडे और शुक्राणुओं के साथ मिलाया जाता है लगभग 16 से 20 घंटों के बाद यह चेक किया जाता है कि निषेचन सफल हुआ या नहीं यदि निषेचन सफल
हो गया है तो निषेचित अंडों पांच-छह दिन
तक प्रयोगशाला में ही रखा जाता है ताकि यह थोड़े विकसित हो सकें यदि एक से अधिक
अंडे निषेचित हो गए है तो उनमे से एक या दो सबसे अच्छे भ्रूण को चुन लिया जाता है और
फिर स्वस्थ भ्रूण को एक पतली ट्यूब की मदद से गर्भ में बैठा दिया जाता है
आईवीएफ उन विवाहित जोड़ो के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन
पा रहे है जिन महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब में अवरोध है या पुरुषों में स्वस्थ
शुक्राणु नहीं बन पा रहे हैं तो ऐसी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती
हैं और आईवीएफ उसे मां बनने का अवसर देती
है ।
लेकिन हर चिकित्सकीय प्रक्रिया के फायदो के साथ साथ उसके नुकसान भी
जुड़े होते है आईवीएफ के भी कुछ जोखिम और
नुकसान हैं।
देखिये सामान्यतया आईवीएफ के दौरान गर्भ में दो भ्रूण डाले जाते
हैं अब इससे जुड़वां बच्चे होने का खतरा बढ़ जाता है यदि बच्चे जुड़वाँ हुए तो जन्म समय
शिशु का वजन कम रहने का भी खतरा होता है ।
इसके अलावा इस प्रक्रिया में प्रजनन दवाओं का
प्रयोग किया जाता है यह दवाएं भी कहीं न कहीं हानिकारक हो सकती है
आपका आईवीएफ कितना सफल होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि महिला
की उम्र कितनी है उसे क्या समस्या है महिला कम उम्र की होगी तो उसके अंडे भी स्वस्थ
होंगे। मगर साधारण रूपों में लोग 10-15 वर्ष तक तो देखते ही है की क्या पता बच्चा हो ही जाए और ऐसे में
महिला अधिक उम्र की हो जाती है
अब बड़ा सवाल यह है की भारत में आईवीएफ का खर्चा कितना आएगा
तो अलग अलग जगह आईवीएफ की लागत अलग-अलग हो सकती है। आईवीएफ की शुरुआत 65 हजार रुपये हो सकती है।
भारत में आईवीएफ 65 हजार से 3 लाख रुपये तक में होता है
इसके बाद भी यदि आईवीएफ के सम्बन्ध में आपका कोई सवाल हो तो आप
हमें कमेन्ट कर सकते है
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✍: Narendra Agarwal ✍
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Ivf se hue bache par kya sirf ma ka hak hota he. Ivf se hua to pita ka koi adhikar nahi he kya
ReplyDeleteऐसा कुछ नहीं है माता और पिता का समान रूप से अधिकार होगा
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