अमरनाथ यात्रा 2021 कब से है
यदि आप पहली बार अमरनाथ यात्रा पर जा
रहे है तो यात्रा से पहले अमरनाथ के बारे में कुछ जानकारी आपके साथ शेयर कर रहे है
की लोग आखिर अमरनाथ जाते क्यों है और फिर आपको यात्रा का पूरा तरीका शेयर करेंगे
हो सकता है यह लेख थोडा बड़ा होगा लेकिन आपके लिए काफी उपयोग साबित होगा तो आइये
शुरू करते है
अमरनाथ भोलेनाथ शिव का धाम है अमरनाथ
को तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है ये वो स्थान है जहाँ भगवान शिव ने स्वम् अपने
मुख से माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बतलाया था अमरनाथ में आपको एक पवित्र गुफा
देखने को मिलेगी और उस गुफा में साक्षात् शिव स्वरूप स्वयं भू बर्फ से प्राकृतिक रूप
से बने शिवलिंग के दर्शन होंगे यह जगह बहुत पवित्र मानी जाती है प्राकृतिक रूप से हिम से बने होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है।
अमरनाथ की गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ
फुट है इस गुफा में आको बर्फ के पानी की बूँदें टपकती हुई मिलेगी और यहीं पर एक
जगह ऐसी है जहाँ यह टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग अपने आप ही
हर वर्ष बन जाता है जब चन्द्रमा के घटता
है तो शिवलिंग का आकर भी घटने लगता है चन्द्रमा के बढऩे के साथ-साथ इस बर्फ का
आकार भी बढ़ जाता है यह पूरी तरह से प्रकृति का चमत्कार है और हाँ श्रावण पूर्णिमा
के दिन यह शिवलिंग अपने पूर्ण आकार में होता है जो अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा
होता जाता है सबसे खास बात यह शिवलिंग ठोस बर्फ से बना होता है और
गुफा में आपको सब जगह कच्ची बर्फ ही देखने को मिलेगी जिसे
आप हाथ में लेते है तो चुरा बन जाती है अमरनाथ शिवलिंग से कुछ फिट की दुरी पर श्री
गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड आपको देखने को मिलेंगे ।
अब यह गुफा इतनी पवित्र क्यों मानी जाती है तो कहते है की इसी गुफा में
भोलेनाथ शिव ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी जब महादेव माँ पार्वती जी को
अमर कथा सुना रहे थे तो इस कथा को सुनकर सद्योजात शुक-शुक शुकदेव ऋषि के रूप में
अमर हो गये थे यही कारण है की अमरनाथ की इस गुफा में आज भी आपको कबूतरों का
एक जोड़ा दिखाई दे जाएगा लोग कहते है की यह अमर पक्षी हैं हजारो वर्षो से यह यही
है यह कबूतर भी शिव के मुख से अमरकथा सुनकर अमर हो गए है कहते है की यदि आपको आपकी
अमरनाथ यात्रा के दौरान यह कबूतरों को जोड़ा दिख जाए तो आपको साक्षात् शिव और माता
पार्वती के दर्शन हो गए है।
कहते है की जब
भगवान शिव पार्वती माता को अमर कथा सुनाने के लिए अमरनाथ की गुफा में ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों
को अनंतनाग में छोड़ा था अपने माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा था और अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर छोड़ दिया था और अंत में अपने
गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थान पर छोड़ा था और जहाँ
जहाँ इन्हें छोड़ा गया यह सारे स्थान अब उन्ही के नाम से जाने जाते है यह सारे
स्थान आज भी अमरनाथ यात्रा में आते हैं। अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं
शताब्दी के में एक मुसलमान गडरिए को चला था और आज भी अमरनाथ यात्रा के दौरान आने
वाले चढ़ावे का चौथाई हिस्सा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को दिया जाता है
चलिए अब बात करते है अमरनाथ यात्रा कब होती है और कैसे आप इस यात्रा को कर सकते है
देखिये इस यात्रा को करने के लिए दो चीजे अनिवार्य है पहली यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करना और दूसरा मेडिकल सर्टिफिकेट लेकिन अभी covid काल में आपको आपकी covid की negative रिपोर्ट भी ले जाना जरुरी होगा दक्षिण कश्मीर में हिमालय स्थित अमरनाथ गुफा के लिए होने वाली सालाना वर्ष 2023 में अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 01 अप्रैल 2023 से शुरू हो चुके है यह यात्रा 30 जून 2023 से शुरू होगी और 11 अगस्त रक्कोषा बंधन के दिन समाप्त होगी।
रजिस्ट्रेशन कराने ले पहले जान लीजिये की अमरनाथ यात्रा एक दुर्गम यात्रा है बाबा बर्फानी की यह गुफा 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। और इस बार यात्रा के दौरान आपको कोरोना प्रोटोकॉल का भी सख्ती से पालन करना होगा मास्क लगाकर ही यह यात्रा करनी होगी
चलिए अब
बात करते है की रजिस्ट्रेशन आप कैसे और कहा करा सकते है तो अमरनाथ यात्रा के लिए
आप अपने शहर में पंजाब नेशनल बैंक में या फिर जम्मू कश्मीर बैंक में और यस बैंक में
जाकर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते है रजिस्ट्रेशन के लिए प्रक्रिया के
बारे में ब्यौरा, आवेदन पत्र
और बैंक की शाखाओं की राज्यवार सूची पूरे पते के साथ अमरनाथ यात्रा बोर्ड की
वेबसाइट पर मौजूद है तो पहले देख लीजिये की आपकी बैंक शाखा में यह सुविधा मौजूद है
या नहीं
लिस्ट आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते
है
Wait for New List Click for List Download
मेडिकल
जांच आपको आपके राज्य में आपके शहर में राज्य सरकारों की ओर से अधिकृत सरकारी डॉक्टरों
या चिकित्सा संस्थानों से ही करा कर सर्टिफिकेट लेना है यह मेडिकल जांच लेकर ही
आपको यात्रा के रजिस्ट्रेशन के लिए रजिस्टर्ड बैंक शाखा में जाना है यह मेडिकल सर्टिफिकेट
अनिवार्य हैं क्योंकि यह यात्रा बहुत ही दुर्गम और कठिन यात्रा है गुफा बहुत ऊंचाई
पर है यात्रा वर्ष 2023 के लिए 11 अप्रैल 2023 के बाद के जारी हेल्थ सर्टिफिकेट ही मान्य होंगे ।
यदि आपको
उम्र 13 वर्ष से कम है या फिर 75 वर्ष से अधिक है तो आप इस यात्रा के लिए मत सोचिये क्योकि आपका
रजिस्ट्रेशन नहीं होगा यदि आप छह सप्ताह से अधिक गर्भवती महिला है तब भी इस वर्ष
की यात्रा के लिए आप अपात्र है आपका भी रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा।
अमरनाथ यात्रा के लिए दो रास्ते
जाते है तो प्रत्येक दिन के लिए और रास्तों के लिए अलग-अलग परमिट होंगे । हाँ आप
रजिस्ट्रेशन के बिना भी यात्रा कर सकते है यदि आप हेलीकॉप्टर से यात्रा करते है तो
आपको अग्रिम पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है बस आपके पास हेलीकॉप्टर का टिकट होना
चाहिए लेकिन आपको अधिकृत चिकित्सक द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट तो लाना ही होगा ।
चलो अब
आपने अग्रिम पंजीकरण करा लिया और आपको अधिकृत
चिकित्सक द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट भी ले लिया अब बात करते है यात्रा कैसे
और कहाँ से शुरू करे तो चलो यह भी जान लेते है
तो
यात्रा के लिए दो रास्ते उपलब्ध है
जम्मू से पहलगांव होते हुए पवित्र
गुफा तक का रास्ता
Jammu - Pahalgam - Chandanwari -
Pissu Top - Sheshnag - Panchtarni - Holy Cave
जम्मू से बालटाल होते हुए पवित्र गुफा
तक का रास्ता
Jammu - Baltal - Domail - Barari
- Holy Cave
अब इन
दो रास्तो में से आपको एक रास्ते को चुनना है तो या तो आप अपनी यात्रा पहलगाम से
शुरू करेंगे या फिर बालटाल से तो चलिए दोनों रास्तो तक आप कैसे पहुच सकते है यह भी
जान लेते है
तो
यदि आप पहलगाम से यात्रा शुरू करते है तो आपके लिए सडक हवाई और रेल मार्ग तीनो ही
खुले है
सड़क मार्ग - सड़क मार्ग से अमरनाथ पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले
जम्मू आना होगा फिर जम्मू से श्रीनगर जाना होगा श्रीनगर से आप पहलगाम या बालटाल
पहुंच सकते हैं इन दो स्थानों से ही पवित्र यात्रा की शुरु होती है। श्रीनगर से
पहलगाम लगभग 92 किलोमीटर पड़ता है और बालटाल लगभग 93 किलोमीटर दूर पड़ता है दोनों की दुरी लगभग सामान
है आप बस या टैक्सी से भी पहलगाम पहुंच सकते हैं पहलगाम से अमरनाथ की पैदल चढ़ाई
शुरु होती है।
हवाई मार्ग- सबसे नजदीकी
एयरपोर्ट श्रीनगर है
रेल मार्ग- पहलगाम से
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर है यह 217 किलोमीटर दूर है लेकिन आपको चाहिए की आप जम्मू
रेलवे स्टेशन से यात्रा शुरू करे।
तो जम्मू से आप पहलगाम या
बालटाल तक आप किसी भी वाहन से पहुंच सकते हैं बहुत सारे साधन टैक्सी या बसे मिल
जाती है मगर आगे का सफर आपको पैदल चलकर ही पूरा करना होता है पहलगाम और बालटाल से
ही अमरनाथ की पवित्र गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते मिलते है
पहलगाम से अमरनाथ की की दूरी लगभग 48 किलोमीटर और बालटाल से यह दुरी मात्र 14 किलोमीटर है।
तो कहने की जरूरत नहीं है की आप किस मार्ग का चयन करे
बालटाल रूट से आप अमरनाथ गुफा कम समय में पहुंच सकते हैं
क्योकि यह छोटा रूट है या यो कहिये की यह शोर्ट कट है और आप तो जानते ही है शोर्ट
कट हमेशा कांटो से भरा होता है तो बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी भले 14 किलोमीटर है लेकिन यह रास्ता काफी कठिन है
और खड़ी चढ़ाई वाला है इसलिए यदि आपकी उम्र 50 से अधिक है तो हमारी सलाह है आप इस रूट का चयन
ना करे ।
पहलगाम रूट अमरनाथ यात्रा का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक रास्ता
है यदि आप इस रूट का चयन करते है तो भोलेनाथ की गुफा तक पहुंचने में आपको लगभग 3 दिन लगते हैं मगर यह रास्ता ज्यादा कठिन रास्ता
नहीं है। पहलगाम से आपको अपने पहले पड़ाव चंदनवाड़ी तक जाना है यह बेस कैंप से
करीब 16 किलोमीटर दुरी
पर आएगा यहां तक का रास्ता आपको मस्त मिलेगा लगभग सपाट मिलेगा लेकिन इसके बाद से चढ़ाई
शुरू हो जाती है। आगे बढ़ने
पर 3 किलोमीटर आगे ही
पिस्सू टॉप है और फिर इससे आगे तीसरा पड़ाव शेषनाग है जो पिस्सू टॉप से करीब 9 किलोमीटर की दुरी पर है। शेषनाग के बाद
अगला पड़ाव पंचतरणी आएगा जो शेषनाग से 14 किलोमीटर की दुरी पर और बस पंचतरणी से पवित्र
गुफा के लिए आपको केवल 6 किलोमीटर और
चलना है ।
और बस आप पहुच गए बाबा बर्फानी के दरबार में अपनी
हर इच्छा बाबा के सामने रखिये ऐसी कोई इच्छा नहीं है जो बाबा पूरी ना कर सके
तो आपकी अमरनाथ यात्रा शुभ हो जय भोले नाथ
बस इस लेख को यही विराम देते है
दोस्तों यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट करके जरुर बनाये
✍: Narendra Agarwal ✍
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