आरती क्यों की जाती है आरती करने का सही तरीका
अक्सर आपने देखा होगा की जब किसी भी देवी या देवता का कोई अनुष्ठान पूजा या पाठ किया जाता है तो अंत में उस देवी देवता की आरती की जा जाती है, तो क्या आप जानते है की अंत में यह आरती क्यों की जाती है इसका क्या महत्व है।
तो यदि आप नहीं जानते है कि आरती क्यों की जाती है इसका क्या महत्व है तो इस लेख को पूरा अंत तक पढिये क्योकि आज इस लेख में हम आपको यही जानकारी शेयर करने जा रहे है की किसी भी देवी या देवता की आरती क्यों की जाती है और इसका क्या महत्त्व है ।
धर्म शास्त्रों में आरती को आरक्तिका या नीराजन कहा जाता है, जब कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का अनुष्ठान पूजा पाठ यज्ञ-हवन, आदि करता है तो अंत में आरती जरुर से की जानी चाहिए, इसका कारण है की जाने अनजाने में अनुष्ठान और पूजा-पाठ में कुछ ना कुछ भूल या त्रुटि रह ही जाती है और आरती से उसकी पूर्ति हो जाती है। ‘स्कंदपुराण’ में वर्णन है यदि कोई व्यक्ति पूजा विधि नहीं जानता है पूजा के मंत्र नहीं जानता तो उसे केवल आरती ही कर लेनी चाहिए केवल आरती करने मात्र से उसकी पूजा भगवान पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं । इसीलिए आरती हिन्दू धर्म में किसी भी देवी देवता की पूजा में महत्वपूर्ण मानी जाती है ।
लेकिन आरती को भी विधिवत करना बेहद जरुरी है, बहुत से लोगो को ठीक से आरती करनी भी नहीं आती है । तो आज इस लेख को पूरा पढने के बाद आपको ठीक से सही तरीके से आरती करना भी आ जाएगा।
किसी भी पूजन के मंत्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी केवल मात्र आरती कर लेने से वह पूजा पूर्ण मानी जाती है, अब समस्या यह है की आरती ठीक से कैसे करे तो देखिये सबसे पहले आप जिस भी देवता का पूजन कर रहे है उसके मूलमंत्र से तीन बार उन्हें पुष्पांजलि दीजिये इसके बाद ढोल, नगाड़े शंख, घड़ियाल आदि वाद्य यंत्रो की ध्वनि करते हुए सभी उपस्थित व्यक्तियों अपने मुख से उस देवी देवता के जय-जयकार कीजिये ।
एक शुद्ध पात्र में गाय के दूध से बने घी से या फिर कपूर से विषम संख्या की अनेक बत्तियां जलाकर आरती तैयार करनी चाहिए तो एक थाल में दीपक ज्योति और कुछ विशेष वस्तुएं रखकर भगवान के सामने आरती गाते हुए विशेष तरीके से घुमाते हैं । आरती करते समय आरती की थाल को घुमाते हुए ॐ की आकृति बनानी चाहिए आरती को भगवान के चरणों में चार बार घुमाना चाहिए भगवन की नाभि में दो बार घुमाना चाहिए और भगवन के मुख पर एक बार घुमाते हुए सम्पूर्ण शरीर पर सात बार घुमाना चाहिए ।
आरती की शुरुआत भगवान् की प्रतिमा के चरणों से चार बार घुमाते हुए करनी चाहिए । यदि आप अपने घर में ही मंदिर में आरती कर रहे है तो आप एक ही आरती में एक से अधिक भगवानों व देवी-देवता की आरती कर सकते है लेकिन सबसे पहले भगवान् श्री गणेश जी की आरती करनी चाहिए इसके बाद सभी की आरती करते हुए अंत में भगवान श्री हरी विष्णु जी की आरती से समाप्त कीजिये यानी की ओम जय जगदीश हरे आरती से ।
घर पर आरती रोजाना प्रातः काल तथा सायंकाल में करनी चाहिए और पुरे परिवार के सदस्यों को एक साथ खड़े होकर करनी चाहिए अच्छा आरती से केवल देवता ही प्रसन्न नहीं होता है बल्कि आपका भी मन भी प्रसन्न होगा इसके अलावा आरती से घर व आस-पास का वातावरण भी शुद्ध होता है घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वास्तु दोषों से भी मुक्ति मिलती है ।
✍: Narendra Agarwal ✍
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