Pitra Dosh Kya hai Kaise hota hai Pitru dosh In Kundali pitru dosh dur krne ke liye kya Upay kare
( पितृदोष क्या है पितृदोष क्यों लगता है पितृदोष
से मुक्ति पाने के सरल उपाय)
Pitra Dosha • Pitru Paksha • Horoscope • Upaya • Tarpana • Paksha
पितृ दोष क्या है पर बात करने से पहले सबसे पहले यह जान लेते है कि पितृ क्या
होते है या पितृ कौन होते है किसे हम पितृ कहते है फिर समझेंगे की पितृ दोष क्या
होता है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए क्या कर सकते है इस आर्टिकल में आपको पितृ दोष को दूर करने के प्राचीन चमत्कारी उपायों की जानकारी भी शेयर की गयी है ।
पितृ क्या होते है या पितृ कौन होते है
हिन्दू धर्म के अनुसार हमारे ऐसे पूर्वज जो इस धाम पर अपना शरीर
त्याग कर चुके है यानी की हमारे ऐसे प्रियजन जिनकी मृत्यु हो चुकी है ऐसे लोग अपने
बाद वाली पीढ़ियों के लिए पितृ कहलाते है पितरो को घर के देवता और घर के रखवाले भी
कहा जाता है । हर वर्ष अश्विन कृष्ण पक्ष की
शुरुआत यानि एकम से लेकर अमावश्या तक के समय पितृ पक्ष कहा जाता है यह समय ऐसा समय
होता है जब आप अपने पितरो को प्रसन्न कर सकते है । शास्त्रों के अनुसार इस पक्ष में
अपने पितरो के लिए पवित्र धर्म स्थानों पर जाकर उनके नाम से श्राद्घ, तर्पण, दान आदि करने से उन्हें
मुक्ति मिलती है और उनकी प्रसन्ना सदैव घर पर बनी रहती है । यदि आप किसी कारण से धर्म
स्थानो पर नहीं जा सकते है तो आप अपने घर पर ही रहकर श्राद्ध, तर्पण, पिण्ड दान एवं ब्राह्मण भोजन आदि कर सकते है
।
गरूड़ पुराण के अनुसार जब कोई
व्यक्ति अपने पंचतत्व से बने शरीर का त्याग करता है तो वह शव कहलता है और उसके
प्राण रूपी आत्मा उसकी मृत्यु के पश्चात प्रेत रूप में यमलोक की और बढती है उस
प्राणी की एक नयी यात्रा शुरू हो जाती है और इस यात्रा में उस मृतक की संतान द्वारा प्रदान किये गये पिण्डों से प्रेत योनि वाले उस आत्मा को शक्ति और बल मिलता
है।
जब आत्मा यमलोक पहुच जाती है तो उस प्रेत आत्मा को अपने जीवन और
कर्मो के अनुसार प्रेत योनी में ही रहना पड़ता है या फिर उसे अन्य योनी भी दी जा
सकती है यदि ऐसे व्यक्ति का जीवन सद कर्मों से युक्त रहा है तो वो अपने किये गए
पुण्यो के बल पर देव लोक के वासी हो जाते है और अंत में पितृ लोक में स्थान
प्राप्त करते हैं और फिर यही वो प्राणी अपने कर्मो के फलो को भोगता हुआ उसके योग्य
शरीर मिलने तक ऐसी आत्मा रूप में निवास करता हैं।
शास्त्रों में पितरों को देवताओं के समान ही बताया गया है वो अपने घर
के देवता है यही कारण है ऐसे पितरो को केवल उनके घर परिवार के लोग ही पूजते है हर
व्यकित अपने घर के पितरो को पूजता है किसी और के घर के पितरो को नहीं ।
पितृ दोष
क्या होता है और क्यों लगता है पितृ दोष
पितृ दोष के दो कारण हो सकते है ज्योतिष के अनुसार हमारी जन्म कुंडली का नवां घर धर्म का कहलाता है इसी घर को पिता का घर भी माना गया है तो पितृ दोष के संकेत कुंडली के नवे घर से मिलते है यदि किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित है । तो यह बताता है की कही ना कही आपके पूर्वजों की इच्छायें अभी भी अधूरी रह गई है, यदि नवें भाव का मालिक ग्रह राहू या केतु से ग्रसित है या फिर नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो आपकी कुंडली में पितृ दोष माना जाएगा । कुंडली में पितृ दोष होने पर इस प्रकार का जातक को हमेशा किसी न किसी बात की टेंसन बनी रहती है, कभी कभी उसकी शिक्षा पूरी नही हो पाती है और ऐसे व्यक्ति आसानी से जीविका नहीं चला पाते है पितृ दोष चरम पर हो तो यह दोष जातक को दिमागी या शारीरिक रूप से अपंग भी कर सकता है ।
पितृदोष क्यों लगता है
पितृदोष लगता क्यों है इसके लिए ज्योतिष मान्यता है जो लोग जीवित
रहते हुए अपने माता पिता का अनादर करते रहते है उनका सम्मान नहीं करते है, रोजाना उनके
चरण स्पर्श नहीं करते है अपने माता पिता की मृत्यु के बाद उनके और अपने पितरों का श्राद्ध
नहीं करते ऐसे लोगों के अगले जन्म में उन्हें
कुंडली में पितृदोष की प्राप्ति होती है । यदि आपके जीवन में बहुत सारे कष्ट एक साथ आ
रहे है लगतार आ रहे है एक समस्या जाती है दूसरी आ जाती है लंबे समय से आपके कोई काम नहीं बन पा रहे हैं तो
हो सकता है आप पितृ दोष से ग्रसित हो ऐसे में आपको पितृदोष के कष्टों को दूर करने
के लिए उपाय करने चाहिए.
वर्ष 2021 में 20 सितंबर दिन सोमवार से पितृपक्ष का पहला दिन शुरू हो गया है जीवन में पितृ
दोष बहुत ही ज्यादा प्रभाव डालमें वाला होता है. पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति का
जीवन बहुत ज्यादा कष्ट पूर्ण हो जाता है ।
यदि कुंडली में यह दोष है धन का अभाव और मानसिक परेशानिया हमेशा
परेशान करती ही रहती है पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति ठीक से उन्नति नहीं कर पाता है
तो यही समय है जब आप अपनी भूल को सुधर सकते है और यदि आप अपने पितरो का सम्मान
करते है तो समाज में आपको भी सम्मान मिलता है ।
पितृ
दोष को कम करने या दूर करने के उपाय
पितृ दोष को कुंडली के ग्रहों की स्थिति अनुसार पूर्ण रूप से निवारण किया जा सकता है लें यदि आपके पास आपकी कुंडली ही नहीं है तब भी आप कुछ उपाय कर सकते है और अपने पितरो को प्रसन्न कर सकते है आगे आपको पितृदोष का प्रभाव कम करने के लिए कुछ आसान व सरल उपाय बता रहे है जिनका प्रयोग करके आप पितृ दोष को काफी हद तक कम कर सकते है ।
पितृ दोष को दूर करते के लिए आपको चाहिए की आप अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार को पितरो के लिए सुरक्षित रखे अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो सम्मान पूर्वक इस दिशा की दीवार पर विराजमान करे फिर से समझ ले विराजमान करना है ना की खूंटी पर लटकाना है कई लोग अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो या तस्वीर खूंटी पर डोरी से लटका देते है, यह बिल्कुल गलत है तो अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो सम्मान पूर्वक इस दिशा की दीवार पर विराजमान करे और उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति जरुर से करे रोजाना घर से बहार जाने से पहले उनसे आशीर्वाद प्राप्त करके ही निकले इससे पितृ देव प्रसन्न होते है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
पितरो के स्वर्गीय होने वाले दिन यानी उनके आत्मा छोड़ने वाली तिथि को किसी गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए इस भोजन में मृतात्मा की पसंद की वस्तु अवश्य शामिल करे और अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार किसी गरीब जरूरतमंद व्यक्ति को वस्त्र और अन्न आदि दान करे । यदि कर सके तो अपने पूर्वजो पितरो के नाम से किसी गरीब बच्चे की शिक्षा का भार अपने ऊपर ले यह भी पितृ दोष को दूर करता है ।
पितृ पक्ष में रोजाना (रविवार को छोड़कर) पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल और काले तिल चढ़ाएं जल चढाते समय अपने सभी स्वर्गीय परिजनों का स्मरण करते हुए उनसे आशीर्वाद मांगें । रोजाना संध्या काल के समय एक दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें. इससे भी पितृ दोष की शांति होती है ।
एक उपाय और कर सकते है आप सोमवार प्रात:काल में स्नान कर ले फिर आको नंगे पैर शिव मंदिर जाना है तो अपने घर के नजदीक शिव मंदिर में जाए अपने साथ में आंकड़े के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र ले जाए वहां जाकर शिवजी की पूजा करें यह काम आपको 21 सोमवार तक करना है इससे भी पितृदोष का प्रभाव काफी कम होता है ।
अपने पितरो के नाम से कम से कम 11 मंदिरों में पवित्र पीपल और बरगद के पेड़ लगाएं, विष्णु भगवान के मंत्र जाप करे पितरो के नाम से रोजाना श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करे इससे पित्तरों को शांति मिलती है दोष में कमी आने लगती है ।
अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त काम किए जाते हैं तो आप भी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पवित्र भोजन बना कर चावल बूरा, घी और रोटी गाय, कुत्ता, और कौआ को जरुर से खिलाएं अपने पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा जरूरतमंद को दान करे इससे भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष शांत होने लगता है ।
प्रत्येक अमावस्या के दिन पर गाय को पांच तरीके के फल खिलाएं और बबूल के पेड़ के नीचे शाम के समय भोजन रखें. ऐसा करने से भी पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष समाप्त होता है ।
अपने पितरों से जाने अंजाने हुई गलतियों के लिए रोज क्षमा मांगें, ऐसा करने से भी पितृदोष का असर कम हो जाता है या पूरी तरह से समाप्त हो जाता है ।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है।
मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध
पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के
अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी
स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग
माना जाता है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां-
पूर्णिमा श्राद्ध - 20 सितंबर 2021-
प्रतिपदा श्राद्ध - 21 सितंबर 2021
द्वितीया श्राद्ध - 22 सितंबर 2021
तृतीया श्राद्ध - 23 सितंबर 2021
चतुर्थी श्राद्ध - 24 सितंबर 2021,
पंचमी श्राद्ध - 25 सितंबर 2021
षष्ठी श्राद्ध - 27 सितंबर 2021
सप्तमी श्राद्ध - 28 सितंबर 2021
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर 2021
नवमी श्राद्ध - 30 सितंबर 2021
दशमी श्राद्ध - 1 अक्तूबर 2021
एकादशी श्राद्ध - 2 अक्तूबर 2021
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्तूबर 2021
त्रयोदशी श्राद्ध - 4 अक्तूबर 2021
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्तूबर 2021
अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्तूबर 2021
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