सिन्दूर तृतीया के उपाय पति की लम्बी आयु और घर की सृमिधि के लिए सिंदूर को घर पर ही चमत्कारी कैसे बनाये
सिंदूर तृतीया और नवरात्री
एक वर्ष
में चार नवरात्री आते है जिनमे दो गुप्त होते है और चारो में शारदीय नवरात्री को
बड़े नवरात्री भी कहा जाता है नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चन्द्रघंटा को आराधना का
दिन होता है और शारदीय नवरात्री का यही तीसरा दिन सिंदूर तृतीया के रूप में भी
मनाया जाता है ।
सिंदूर लगाने का महत्व प्राचीन परम्परा
भारत में किसी भी
विवाहित स्त्री के लिए सिंदूर बहुत ही जरुरी और पवित्र होता है सिंदूर को सुहाग की
निशानी माना जाता है । यह बहुत ही प्राचीन मान्यता है की महिलाओं द्वारा अपने पति
की लम्बी आयु के लिए महिलाएं अपनी मांग में सिन्दूर भरती है विवाहित होकर भी
सिंदूर नहीं लगाना सुनी मांग रखना बहुत ही अशुभ माना जाता है इसलिए हर विवाहित
महिला लिए मान्यताओं और रीति रिवाज के अनुसार भी सिंदूर लगाना जरूरी होता है। तो
हिन्दू परिवार की महिलाओं के लिए सिंदूर दुनिया की किसी और वस्तुओं से बढ़कर होता
है।
तो विवाहित
स्त्रियों के लिए सिंदूर तृतीया बहुत ही महत्वपूर्ण होती है सिंदूर तृतीया के दिन
विवाहित स्त्री को माँ चन्द्र घंटा को सिंदूर जरुर से अर्पित करना चाहिए इस दिन
माता रानी को सिंदूर चढ़ाने से सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है घर में सुख शांति आती है और सिंदूर तृतीया के दिन माता को सिन्दूर
चढाने से यह जीवन के सभी क्लेश दूर होते है। वैसे भी सिंदूर को माता रानी की पूजा
के लिए बहुत जरुरी और विशेष रूप से शामिल किया जाता है। सिंदूर के बिना माता रानी
की पूजा कभी पूरी नहीं होती है । तो हर स्त्री को चाहे वो कुंवारी हो या विवाहित
माता रानी को सिन्दूर जरुर से अर्पित करना चाहिए ।
बंगाल में मानते है सिंदूर तृतीया उत्सव के रूप में
शारदीय नवरात्री का
तीसरा दिन सिंदूर तृतीया कहलाता है लेकिन इसे सिंदूर तृतीया के
अलावा भी अन्य कई नामों से भी पुकारा जाता है जैसे महातृतीया सौभाग्य तीज और गौरी
तीज के नाम से भी यह दिन जाना जाता है पश्चिम बंगाल में यह दिन बहुत ही खास होता
है इस दिन महिलाए इस दिन एक दूसरे के सिंदूर लगाती हैं और इस दिन लाल बॉर्डर की
सफेद साड़ी पहनती हैं। मान्यता है कि यह दिन मॉं चंद्रघण्टा के विवाहित रूप देवी
पार्वती को दर्शाता है। मान्यता है की यदि इस दिन एक सुहागिन स्त्री दूसरी सुहागिन
स्त्री के सिन्दूर लगाती है तो वह सदा सुहागन रहती है । तो यदि आप भी इस मान्यता
को अपनाते है तो कोई बुराई नहीं है बल्कि इससे अपनत्व में बढ़ावा ही होने वाला है ।
सिंदूर तृतीया के उपाय
सिंदूर तृतीया माता
को पर्याप्त मात्रा में सिंदूर चढ़ाये माता को चढाने के बाद बचा हुआ सिंदूर माता का
प्रसाद समझकर रख ले और इसी सिंदूर को प्रसाद समझकर प्रतिदिन अपनी मांग में भरना
चाहिए और इसी सिंदूर से अपने घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का चिह्न
बनाना चाहिए जिससे घर में सुख और समृद्धि का प्रवेश होता है
यदि पति किसी विशेष
कार्य से घर से बहार जा रहा है तो इस सिन्दूर से पति को तिलक लगा कर भेजने से
निश्चित सफलता प्राप्त होती है ।
नवरात्री में साधारण सिंदूर को बनाये चमत्कारी सिन्दूर || सिंदूर के चमत्कारी उपाय और सिंदूर साधना
सिंदूर साधना से सिन्दूर को चमत्कारी कैसे बनाये
आप नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की चमत्कारी सिंदूर साधना करके माता का विधिवत पूजन करके 1188 बार निम्न मंत्रो
के जाप से सिंदूर को अभिमंत्रित करके इसे चमत्कारी बना सकते है सभी मंत्रो को 1188
बार जाप करना है यानी की प्रत्येक मन्त्र की 11 माला जाप करनी है
यह साधना आपको नवरात्री के तीसरे दिन करनी है और विधिवत 1188 बार निम्न मंत्रो का जाप करना है इसे ही सिंदूर साधना कहते है इससे आप साधारण सिंदूर को भी अभिमंत्रित करके इसे चमत्कारी बना सकते है सभी मंत्रो को 1188 बार जाप करना है यानी की प्रत्येक मन्त्र की 11 माला जाप करनी है मन्त्र नीचे बताये गए है इसे आप किसी पेपर या डायरी में लाल पेन से लिख ले :-
मंत्र:
सरल मंत्र : ॐ एं ह्रीं क्लीं
माता
चंद्रघंटा का उपासना मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढा
चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं
चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
महामंत्र - 1
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नम:
मां
का महामंत्र - 2
मां
चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:
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