नहीं रहे जन जन के प्रिय रसिका पागल बाबा... रसिका पागल बाबा की जीवनी..(Rasika Pagal Baba Biography)

नहीं रहे जन जन के प्रिय रसिका पागल बाबा

रसिका पागल बाबा की जीवनी

(Rasika Pagal Baba Biography)

 

मेरा दिल तो दीवाना हो गया मुरली वाले तेरा....

बाबा रसिका पागल बाबा ने वृन्दावन बिहारी लाल को रीझाने के लिए ना जाने ऐसे कितने ही भजन बांके बिहारी और उनके उनके भक्तो तक पहुचाये है और ऐसे ही बांके बिहारी के रस में डूबे हुए भजन गाते गाते बाबा रसिका पागल जी 4 दिसम्बर को हमेशा के लिए इस धरती को छोड़ कर हमेशा के लिए ठाकुर जी के परम धाम को चले गए ।

जी हां अपने भजनों पर सभी बिहारी जी के भक्तो और रसिकों को नचाने वाले ब्रजभूमि की आन बान और शान बाबा रसिका पागल अब इस दुनियां में नहीं रहे वो अब हमेशा के लिए बांकेबिहारी जी महाराज एवं श्रीजी महारानी के श्री चरणों में चले गए है बाबा का काफी दिनों से स्वास्थ्य खराब चल रहा था ।

 

रसिका पागल बाबा भजन गाते हुए

चलिए आपको रसिका पागल बाबा के जीवन परिचय से आपको रूबरू कराते है

 

कभी रसिका पागल बाबा रिक्‍शा चलाया करते थे और फिर कैसे एक प्रसिद्ध भजन गायक बन गये सारी जानकारी आपको इस लेख में मिलने वाली है तो आइये जानते है –

रसिका पागल बाबा के भजन बहुत ही मधुर और आनंदित कर देने वाले होते पागल बाबा (Rasika Pagal Baba) ने अपने पुरे जीवन काल में केवल और केवल बिहारी जी और राधेरानी के ही भजन गाये है और किसी देवी देवता के भजन उनके मुख से कभी निकले ही नहीं, रसिका पागल बाबा के भजन इतने प्रसिद्ध और मधुर है की इनके भजन ना केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सुने जाते है । भजनों के रसिया लोग पागल बाबा को भजनों की दुनिया का सरताज भी कहते है रसिका पागल बाबा के सानिध्‍य में रहकर कई भजन गायकों ने अपने करियर की शुरुआत की है ।

 

रसिका पागल बाबा का जन्म जनवरी 1967 वृन्‍दावन में हुआ था, यही वृन्‍दावन में श्री गि‍रिराज के पास ही के एक छोटे से गॉव में उनका पुश्‍तैनी घर है समय के साथ साथ पागल बाबा के परिवार वाले श्री गिरिराज के इस छोटे से गाँव को छोड़ कर श्री धाम वृन्‍दावन में आकर बस गये थे और इस प्रकार पागल बाबा (Rashika Pagal Baba) और उनके अन्य भाई-बहनों का जन्‍म भी वृन्‍दावन में ही हुआ बाबा रसिका पागल तीन भाई और दो बहनों में सबसे छोटे थे और हमेशा अपनी ही मस्ती में रहते और रिक्शा चलाया करते थे उनका नियम था वो रोजाना शाम को जब बाँके बिहारी मंदिर में शयन आरती होती मंदिर में जानकार वह बिहारी जी को अपने पदों को गा कर जरुर सुनाते थे ।


अब आपके दिमाग में यह बात जरुर आई होगी की जन्म से तो बाबा का नाम पागल बाबा तो नहीं होगा ना तो फिर रसिका बाबा का नाम पागल बाबा या रसिका पागल बाबा कैसे पड़ा । इस बारे में एक बार बाबा ने खुद बताया की वो एक बहुत ही सामान्य व्यक्ति है और बड़ी ही साधारण सा जीवन रहे थे वो भी और लोगो की तरह ही संसार के मोह माया विषयों और विकारों में फसे हुए थे यानी की एक तुच्‍छ जीव की तरह ही उनका भी जीवन चल रहा था और अचानक एक दिन उन पर एक महाविभूति की कृपा दृष्टि पड़ी  जो उनके गुरुदेव थे ।

 

तो रसिका पागल बाबा के गुरु ने उन्हें इस संसार से निकल कर ठाकुर जी की सेवा के सुख सागर में डुबो दिया बाबा कहते है की यह सब तो मेरे गुरुदेव और बांके बिहारी जी की ही कृपा ही थी जिन्होंने मुझे सही मायने में ठाकुर जी का पागल बना दिया ।

 

बाबा रसिक पागल का कहना था जब उन्हें अपने गुरुदेव का आशीर्वाद मिला तो एक दिन गुरुजी ने उन्‍हें ‘रसिकदास’ नाम से पुकारा गुरुजी के मुंह से निकला यह नाम उन्हें बहुत ही अच्छा लगा धीरे-धीरे सभी उन्हें कई नामो से पुकारने लगे कोई बाबा तो कोई उन्हें रसिका, कहता था तो कोई उन्हें रसिके,  रसिक बिहारी बोलता था ।

 

बाबा रसिका को बचपन से ही गाने का शौक था और वो अपनी हर बात गीत गाकर कहते थे जब वो गुरुदेव से मिले तो उनसे भी वो अपनी हर बात गाकर ही कहा करते थे और बस दिन भर गाते ही रहते थे एक दिन उनके गुरुजी ने उनसे कहा रसिके आज से तुझे मैं अपनी सेवा में लेना चाहता हूँ तो क्या तू मेरी सेवा कर सकेगा, बाबा रसिका ने कहा जी हाँ गुरूजी जरुर से कर पाऊंगा क्या आपको कोई शक है ? तो गुरु जी बोले हाँ मुझे थोडा शक है क्‍योंकि तू तो पहले से ही आधा पागल है ।

 

रसिका पागल बाबा के गुरुजी अक्‍सर रसिका बाबा के लिए लोगो को कहते थे कि यह तो पागल हो गया है तो लोगो ने भी बाबा को पागल कहना शुरू कर दिया और तब से बाबा को सभी लोग रसिका पागलके नाम से बुलाने लगे रसिका बाब ने भी कभी भी किसी की बात का बुरा नहीं माना वो कहते थे की लोग पागल कहे तो कहे पागल बनने में ही बड़ा आनंद है ।

 

तो बाबा को बचपन से ही गाने का शौक था एक तो रसिका पागल बाबा की माताजी भजन गाया करती थी कहते है की जब पागल बाबा अपनी माता के गर्भ में थे तो माता के गर्भ में रहकर ही वो मॉ के भजन सुना करते थे और माता के गर्भ में ही उनकी संगीत की शिक्षा शुरु हो गयी थी तो रसिक बाबा का जन्‍म हुआ और जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो बड़ा अद्भुत सा चमत्कार हुआ वो अपनी हर बात को गाकर ही कहते थे उन्‍हें भूख लगती तो गाना प्‍यास लगती तो गाना सोना है तो गाना खेलने जाना है तो गाना बस वो अपनी हर बात को मॉ से गाकर कहा करते थे ।


जब लोगो ने यह देखा तो परिवार के और आस पड़ोस के लोग बहुत आश्चर्य करते अरे यह इतना सा बालक और हर बात तो गाकर कैसे कहता है इतने छोटे से नन्‍हें से बालक में यह गाने की कला कैसे आ गयी ।

 

तो घर वालो ने इसे बांके बिहारी जी का ही कृपा का प्रसाद मान लिया और इस प्रकार एक महँ भजन गायक पागल बाबा ने अपनी माता के गर्भ में ही संगीत सीखना शुरु कर दिया था ।

 

धीरे धीरे वो बड़े होने लगे श्री ब्रज वृन्‍दावन के रसिक संतों के मुख से सुन-सुनकर उन्होंने भजन गाने शुरू कर दिए रसिका पागल बाबा ने कभी भी गीत संगीत की कोई शिक्षा नहीं ली थी यानी संगीत में उनका कोई गुरु नहीं है और सभी साधू संत ही उनके गुरु है यह बांके बिहारी जी की ही असीम कृपा ही थी कि पागल बाबा को जन्म से ही संगीत की और गीतों का वरदान मिला ।

 

बाबा रसिका पागल के प्रसिद्ध भजन

(Baba rasika pagal ke prsiddh bhajan)

 

1.      करुणामयी कृपामयी मेरी दयामयी राधे।

2.    मेरा दिल तो दीवाना हो गयामुरलीवाले तेरा।

3.     चलो जी चलो जी चलो वृन्‍दावन।

4.    मैं रटूंगी तेरा नाम राधा रानी।

5.     कान्‍हा की दीवानी बन जाउंगी।

6.    श्री राधा बरसाने वाली, तेरो पुजारी है गिरधारी।

7.    तू कान्‍हा मैं तेरी राधिका।

8.    बरसाने की राधा, श्री राधा राधा।

9.    मेरे कान्‍हा पे टोना कर गई।

10.झूला झूलें श्‍यामा प्‍यारी।

11.  कजरारे तेरे मोटे मोटे नैन।

12.आओ सुनाउं तुम्‍हें ब्रज की कहानी।

13. पल भर के लिए कोई राधा नाम रट ले, झूठा ही सही।

14.मीरा दीवानी हो गयी, मीरा मस्‍तानी हो गयी।

15. श्‍यामा प्‍यारी श्री कुंज बिहारी प्‍यारी की, जय जय श्री हरिदास दुलारी।

16.कृपा की न होती जो आदत तुम्‍हारी।

17.तेरी गलियों का हॅू आशिक, तू इक नगीना है।

18.तेरे चरणों में हो जीवन की शाम।

19.सांसों की माला पे सिमरू मैं पी का नाम।

20.           सांवरिया ले चल पर्ली पार।

21.मैं तो तुम संग होली खेलूंगी, मैं तो तुम संग।

इसके अलावा भी बाबा रसिका पागल बाबा के गाये हुए भजनों की एक लम्बी लिस्ट है ।

 

F&Q

प्रश्‍न:- क्‍या बाबा रसिका की पत्नी का नाम क्या है

उत्‍तर:- रसिका पागल बाबा विवाहित नहीं थे 

प्रश्‍न:रसिका पागल जी ने के संगीत गुरु कौन थे ?

उत्‍तर:- रसिका पागल बाबा ने संगीत किसी गुरु से नहीं सिखा था बस साधू संतों के मुख से सुन-सुनकर कर ही उन्होंने संगीत सीखा था ।

प्रश्‍न:- क्‍या रसिका पागल का जन्म स्थल कहा है ?

उत्‍तर:- रसिका पागल बाबा का जन्म वृन्‍दावन में ही हुआ था ।


 Narendra Agarwal  

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