शनिदेव की दृष्टि अनिष्टकारी क्यों है
शनिदेव को मिला था अपनी ही पत्नी से श्राप
शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है शनि
देव प्रत्येक जीव को प्रत्येक व्यक्ति को
उनके कर्मो के अनुसार पुरुस्कार देते और दण्डित भी करते है, शनि देव की दृष्टी बहुत ही खतरनाक मानी
जाती है कहते है की जिस भी व्यक्ति को शनि देव देख ले यानी जिस भी व्यक्ति पर शनि
की दृष्टि पड़ जाए उसका कुछ ना कुछ अहित होना तय है तो यह बात तो आप सभी को मालूम
ही है लेकिन ऐसा क्यों है की शनिदेव न्याय के देवता होने के बाद भी शनिदेव की
दृष्टि इतनी विनाशकारी है शनि की दृष्टि से मानव तो क्या देवता भी नहीं बच पाए है
।
स्वयम रिद्धि सिद्धि के दाता विघ्न हरण गणेश जी
को शनि की दृष्टि की वजह से ही अपना सर खोना पड़ा, आपने अब तक यही सुना या पढ़ा होगा
की गणेश जी का सर देवो के देव महादेव ने काटा था लेकिन गणेश पुराण की एक कथा के
अनुसार शनिदेव की दृष्टि पड़ने की कारण भगवान गणेश का सिर कटा था । यदि आप शनि
चालीसा पढेगे तो वहां भी यह वर्णन मिलता है की "तनिक
विलोकत ही करि रिसा, नभ उड़ गयो गौरिसुत सीसा"
गणेश पुराण की कथा
गणेश पुराण में गणेश जी के सर विच्छेदन की कथा
का वर्णन मिलता है माता पार्वती ने अपने उबटन से गणेश जी का अवतरण हुआ बेहद
खुबसुरत शिशु गणेश के जन्म पर कैलाश पर यानी शिवलोक में एक भव्य उत्सव का आयोजन
किया गया सभी देवी देवता शिव पुत्र बालक गणेश को अपना आशीर्वाद देने आ जा रहे थे तो
शनिदेव भी वहां आये और दूर से ही गणेश जी को आशीर्वाद देने लगे शनिदेव गणेश जी को
बिना देखे ही वहां से लौटने लगे तभी माता पार्वती ने शनिदेव से कहा कि हे शनिदेव
क्या आप मेरे पुत्र को देखेंगे भी नहीं, तब शनिदेव ने बड़े ही विन्रम शब्दों में कहा
माता मेरा देखना आपके पुत्र के मंगलकारी नहीं है, तब माता पार्वती ने कहा लगता है आपको
मेरे पुत्र होने की प्रसन्नता नहीं है तब शनि देव ने कहा ऐसी कोई बात नहीं है माता
मेरा देखना गणेश के लिए अनिष्टकारी हो सकता है लेकिन माता पार्वती नहीं मानी और
शनिदेव को आदेश दिया कि आप गणेश को देखें और अपना आशीर्वाद दें इसे कुछ नहीं होगा
तब शनिदेव ने माता की आज्ञा का पालन करते हुए गणेश पर अपनी दृष्टि डाली और जैसे ही
शनिदेव की दृष्टि गणेश जी पर पड़ी गणेश जी का सिर धड से अलग होकर उड़ गया बाद में
गणेश जी को हाथी का सिर लगाया गया. इसके बाद गणेश जी को गजानन कहा जाने लगा । ये
बड़ी ही अद्भुत घटना थी तभी से सभी शनि की कुदृष्टि से डरते है ।
अब प्रश्न यह है की आखिर न्याय के देवता शानिदेव की दृष्टि अहितकारी कैसे हो गयी तो चलिए इससे जुड़ा प्रसंग आपको बताते है ।
शनिदेव सूर्य का पुत्र है और ग्रह रूप के साथ
साथ शनिदेव की देवता रूप में भी पूजा भी की जाती आपको हर शहर में गली मौहल्ले में
शनिदेव का एक मंदिर देखने को मिल जाएगा लोग शनिदेव की दिल से श्रृद्धा भाव से पूजा
करते है उन पर तेल चढाते है लेकिन शनिदेव पूजा हमेशा मंदिरों में ही की जाती है
कोई भी व्यक्ति शनिदेव की मूर्ति अपने घर के मंदिर में नहीं रखता और ना ही पूजा के
समय शनि देव से दृष्टि मिलाते हैं ।
ब्रह्म पुराण में इस बात का प्रसंग मिलता है
ब्रह्म पुराण की कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव ने शनिदेव का विवाह चित्ररथ की
पुत्री से किया था शनिदेव की पत्नी बहुत ही तेजस्वनी और उग्र स्वभाव की थी उसके
मुख से निकला वचन कभी मिथ्या नहीं जाता था एक रात की बात है शनिदेव की पत्नी पुत्र
प्राप्ति की इच्छा से शनिदेव के कक्ष में गयी उस समय शनिदेव भगवान श्री कृष्ण की
साधना में लीन थे तो उनकी पत्नी उनकी आखें खोलने की प्रतीक्षा करने लगी बहुत समय
बीत जाने के बाद भी जब शनिदेव ने आँखे नहीं खोली तो उनका धेर्य जवाब दे गया
उन्होंने शनि देव को आँखे खोलने के लिए बार बार निवेदन किया किन्तु शनिदेव ध्यान
में थे उन्होंने आँखे नहीं खोली उनकी पत्नी प्रतीक्षा करते करते थक गयी और उनका
ऋतुकाल भी निष्फल हो गया ऐसा होने पर वो काफी क्रोधित हो गयी और शनिदेव की पत्नी ने
क्रोधित होकर शनिदेव को उसी जगह पर श्राप दे दिया की आज से तुम जिसे भी देख लोगे
वह नष्ट हो जाएगा लेकिन बाद में जब उन्हें लगा की उन्होंने शनिदेव को बहुत ही कठोर
श्राप दे दिया है तो उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ लेकिन अब उनके हाथ में कुछ भी
नहीं था उनके मुख से निकला वचन मिथ्या नहीं हो सकता था और शनिदेव की दृष्टि
अनिष्टकारी हो गयी तभी से शनि देव अपना सर नीचे कर के रहने लगे वो नहीं चाहते थे
की उनकी दृष्टि के किसी को नुकसान पहुचे किन्तु माता पार्वती के आदेश की पालना में
गणेश जी को अपना सर खोना पड़ा इसीलिए कहते है की इस श्राप के कारण ही आज भी शनि की
दृष्टि से कोई नहीं बच सकता है ।
✍: Narendra Agarwal ✍
शनिदेव की दृष्टि अनिष्टकारी क्यों है विडियो देखे
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