कार्तिक स्नान क्या है क्यों करना चाहिए कार्तिक स्नान के फायदे और महत्व कार्तिक स्नान पूजा के नियम कायदे

कार्तिक स्नान क्या है क्यों करना चाहिए कार्तिक स्नान के फायदे और महत्व कार्तिक स्नान पूजा के नियम कायदे 

जय श्री कृष्ण दोस्तों मैं आपका दोस्त नरेन्द्र अग्रवाल आपका मेरे इस लेख और वेबसाइट ब्लॉग पर स्वागत करता हूँ ।


देखो भाई कार्तिक स्नान से जुड़े बहुत सारे प्रश्न हमें प्राप्त हुए है जैसे की

कार्तिक नहाने से क्या लाभ होता है?

कार्तिक स्नान कितने बजे करना चाहिए?

कार्तिक स्नान कैसे किया जाता है?

कार्तिक मास में क्या नहीं करना चाहिए?

कार्तिक महीने में किसकी पूजा करनी चाहिए?

कार्तिक मास का महत्व क्या है?

कार्तिक के महीने में क्या दान करना चाहिए?

कार्तिक में पूजा कैसे की जाती है?

कार्तिक मास की कौन सी कहानी सुननी चाहिए

और भी बहुत सारे सवाल है

तो आज इस लेख  में हम आपको कार्तिक स्नान क्यों करना चाहिए इसके क्या फायदे है और कार्तिक मास की कहानी शेयर करने जा रहे है इस लेख को पूरा अंत तक पढने के बाद में आपके मन के उठ रहे बहुत सारे सवालो का जवाब तो आपको मिल ही जाएगा और साथ ही में कार्तिक मास की जानकारी भी पूरी तरह से अपडेट हो जायेगी तो इस लेख को पूरा अंत तक पढना होगा कही ना कही यह लेख आपके लिए काफी उपयोगी साबित होगा आइये शुरू करते है ।

 

तो देखिये हिन्दू धर्म शास्त्रों में कार्तिक मास सबसे पुण्य मास कहा गया है ऐसी मान्यता है की यदि आप कार्तिक मास में कोई पूण्य कर्म करते है तो उसका फल सामान्य दिनों में किये गए पूण्य से कई गुना ज्यादा मिलता है यह भी मान्यता है की कार्तिक मास में किया गया एक बार का गंगा स्नान एक हजार बार गंगा स्नान के सामान फलदायी होता है ।

 

यदि कोई व्यक्ति नियम से कार्तिक स्नान करता है तो उसे प्रयाग में कुंभ में किये गए गंगा स्नान के सामान फल की प्राप्ति होती है, कार्तिक स्नान का सबसे बड़ा फायदा यह है की कार्तिक माह में आप किसी भी नदी में तालाब में सरोवर में सूर्योदय से पूर्व स्नान करे तो उसका फल साक्षात माँ गंगा में स्नान के समान ही प्राप्त होता है ।

 


अब एक प्रश्न यह आता है की

कार्तिक स्नान कब से शुरू करना चाहिए

तो सुनिए कार्तिक स्नान की शुरूआत शरद पूर्णिमा से हो जाती है तो आप शरद पूर्णिमा से कार्तिक स्नान शुरू करे और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को पूर्ण होता है ।


अब एक प्रश्न यह है की

कार्तिक स्नान कैसे किया जाता है कैसे करे

 

तो चलिए इसे भी जान लेते है


पद्म पुराण में कार्तिक स्नान का वर्णन मिलता है इसके अनुसार कार्तिक स्नान करने वाले व्यक्ति को शरद पूर्णिमा से कार्तिक स्नान शुरू कर देना चाहिए  और फिर पूरे कार्तिक मास में रोजाना नियम से सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने घर के आस पास के किसी नदी अथवा तालाब में स्नान करना चाहिए यदि आपके घर के आस पास कोई पवित्र सरोवर है या नदी है तो आप उसमे स्नान करिए । कार्तिक स्नान सूर्योदय से पूर्व तारो की छाँव में स्नान करना चाहिए यानी अँधेरे में ही करना चाहिए स्नान के बाद में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए इससे भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है और ऐसे व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खुलते है ।

 

पद्मपुराण की कथा के अनुसार सत्यभामा को भगवान श्री कृष्ण की पत्नी बनने का सौभाग्य कार्तिक स्नान और पूजा के पुण्य से ही प्राप्त हुआ था ।

 

तो अब आप समझ गए होंगे की कार्तिक मास में सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने को ही कार्तिक स्नान कहा जाता है ।

 

अब क्या करे यदि हमारे घर के आस पास में कोई नदी, सरोवर या तालाब नहीं है तो फिर क्या करे तो देखिये इसके लिए तो उपाय है आप घर पर तारो की छाव में यानी खुले आकाश तले कार्तिक स्नान कर सकते है लेकिन नहाने के लिए जो जल आप ले वो भूमिगत जल होना चाहिए और तुरंत निकला हुआ होना चाहिए तो जिनके घर में बोरिंग है उन्हें तो कोई प्रॉब्लम होगी नहीं लेकिन जिनके घर में बोरिंग नहीं है वो आस पास के हैण्ड पम्प से पानी ला सकते है या फिर घर के साधारण जल में थोडा गंगा जल मिला कर भी आप खुले आकाश तले स्नान कर सकते है लेकिन यह स्नान सुबह दिन उगने से पहले हो होना चाहिए । यदि संभव नहीं हो तो महिलाए घर के भीतर स्नान कर सकती है ।

 

स्नान के बाद में भगवन विष्णु भगवन कृष्ण और तुलसी की पूजा जरुर से करे भगवान को तुलसी अर्पित करे और पीपल और पथवारी को जल सींचे और फिर कार्तिक मास की कहानी जरुर से सुने ।


अब एक प्रश्न यह है की कार्तिक मास का महत्व क्या है ?


तो ऐसा ही एक सवाल एक बार भगवान शिव के बड़े पुत्र कुमार कार्तिकेय जी महादेव शिव से किया उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि कार्तिक मास को सबसे पुण्यदायी मास क्यों कहा जाता है इस पर भगवान शिव ने कहा कि सुनो पुत्र नदियों में जैसे गंगा श्रेष्ठ है, सभी देवी देवताओं और भगवानों में भगवान विष्णु श्रेष्ठ है ठीक उसी प्रकार सभी मासों में कार्तिक मास श्रेष्ठ है और हाँ इस मास में भगवान विष्णु स्वयं जल के अंदर निवास करते हैं इसलिए कार्तिक मास में किसी भी नदी या सरोवर में स्नान करने से विष्णु भगवान की पूजा और साक्षात्कार का पुण्य लाभ मिलता है ।



कार्तिक स्नान भगवान विष्णु की पूजा और तुलसी की पूजा का महत्व और फल क्या है

 

भगवान श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा अपने पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण की पुत्री हुआ करती थी उसकी युवावस्था में इनके पति और पिता को एक राक्षस ने मार डाला तो ब्राहमण पुत्री इस वियोग को सहन ना कर सकी और कई दिनों तक ब्राह्मण पुत्री रोती रही इसके बाद वो भगवान् विष्णु की आराधना में लीन हो गयी वो सभी एकादशी का व्रत रखती कार्तिक मास में नियम से सूर्योदय से पूर्व स्नान करती भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा करती जब उसका बुढ़ापा आया तो एक दिन जब ब्राह्मण की पुत्री कार्तिक स्नान के लिए गंगा में डुबकी लगायी और वो बुखार से कांपने लगी और वही गंगा तट पर ही उसकी मृत्यु हो गयी उसी समय विष्णु लोक से एक विमान आया और ब्राह्मण की पुत्री का दिव्य शरीर विमान में बैठकर विष्णु लोक पहुंच गया कालान्तर में

जब भगवान विष्णु ने अपना कृष्ण अवतार लिया तब वही ब्राह्मण पुत्री ने अब सत्यभामा के रूप में जन्म लिया कार्तिक स्नान और दीपदान के फल से सत्यभामा को सुख और संपत्ति प्राप्त हुई नियमित तुलसी को जल अर्पित करने से उसे सुन्दर वाटिका का सुख मिला और स्वयं भगवान उसे पति रूप में मिले ।

 

चलिए अब जानते है की

कार्तिक मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए


शास्त्रों के अनुसार इस महीने में मांस मदिर आदि का सम्पूर्ण त्याग कर देना चाहिए पूरे महीने संयम रखना चाहिए व्रत-उपवास और नियम के साथ तप करना चाहिए कार्तिक मास में किसी नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान करना चाहिए किया जाता है।

 

कार्तिक मास में तुलसी पूजन जरुर करना चाहिए और तुलसी का नियम से पूजा के बाद में प्रसाद स्वरूप सेवन करना चाहिए ।

 

कार्तिक स्नान करने वाले व्यक्ति को भूमि पर शयन करना चाहिए यानी पलंग पर नहीं सोना चाहिए।

 

कार्तिक के महीने में केवल नरक चतुर्दशी के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए अन्य दिनों में तेल नहीं लगाना चाहिए ।

 

कार्तिक मास में दाले जैसे की चना, मूंग, मसूर, चना, उड़द मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।   

 

कर्तिक स्नान करने वाले व्यक्ति को तपस्वियों के समान व्यवहार करना चाहिए यानी वो कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करे, मन पर संयम रखें ।

 

पूजा के बाद में कहानी जरुर से सुननी चाहिए

 

अब कौनसी कहानी सुने तो देखिये कार्तिक पूजा और स्नान की की बहुत सारी कहानिया है तो आपको एक कार्तिक मास की और एक कार्तिक पूजा की कहानी जरुर से सुननी चाहिए ।

Narendra Agarwal 

कार्तिक मास की प्राचीन पौराणिक कहानी विडियो देखे

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